समस्त प्रजा वैदिकधर्म और शास्त्रोक्त कर्म में संलग्न थी।
3.
इसलिए शास्त्र के बताए मार्ग पर चलना ही शास्त्रोक्त कर्म है।
4.
अस्पष्ट और गुप्त संगठन के अलावा, कई आधुनिक भ्रात्रिक समूह बवारियन इल्लुमिनेटी के 'वारिस' होने का दावा करते हैं और उन्होंने अपने खुद के शास्त्रोक्त कर्म की स्थापना में खुलेआम इल्लुमिनेटी नाम का उपयोग किया है.
5.
अस्पष्ट और गुप्त संगठन के अलावा, कई आधुनिक भ्रात्रिक समूह बवारियन इल्लुमिनेटी के 'वारिस' होने का दावा करते हैं और उन्होंने अपने खुद के शास्त्रोक्त कर्म की स्थापना में खुलेआम इल्लुमिनेटी नाम का उपयोग किया है.
6.
अत: भारतीय सनातन संस्कृति के अनुसार पुत्र-पौत्रादि का कर्तव्य होता है कि वे अपने माता-पिता और पूर्वजों के निमित्त कुछ ऐसे शास्त्रोक्त कर्म करें जिससे उन मृत प्राणियों को परलोक में अथवा अन्य योनियों में भी सुख की प्राप्ति हो सके।
7.
अत: भारतीय सनातन संस्कृति के अनुसार पुत्र-पौत्रादि का कर्तव्य होता है कि वे अपने माता-पिता और पूर्वजों के निमित्त कुछ ऐसे शास्त्रोक्त कर्म करें जिससे उन मृत प्राणियों को परलोक में अथवा अन्य योनियों में भी सुख की प्राप्ति हो सके।
8.
शास्त्रोक्त कर्म चोरी-ठगी-शोषण नहीं व्यापार या राजनीति नहीं नौकरी या अर्थार्जन का प्रयास नहीं यह सब तो शोषण के विधान-सम्मत रास्ते हैं मानव-निर्मित विधान-सम्मत रास्ते शास्त्र इन कर्मों की आज्ञा नहीं देते यज्ञ-दान और तप हैं शास्त्र सम्मत यज्ञ हैं सारे शास्त्र-सम्मत कर्म.
9.
अपना स्वार्थ निकाल दो, और कर्म करो. शास्त्रोक्त कर्म चोरी-ठगी-शोषण नहीं व्यापार या राजनीति नहीं नौकरी या अर्थार्जन का प्रयास नहीं यह सब तो शोषण के विधान-सम्मत रास्ते हैं मानव-निर्मित विधान-सम्मत रास्ते शास्त्र इन कर्मों की आज्ञा नहीं देते यज्ञ-दान और तप हैं शास्त्र सम्मत यज्ञ हैं सारे शास्त्र-सम्मत कर् म.